छोटी चीज भी भहुत बडी होती है
कल घरपेही होनेकी वजहसे मै रुम कि साफसफाईकरने लगा तभी मेरे अॅवार्ड स्टँड से मेरा सबसे किमती अॅवॉर्ड गिरके टूटते टुटते बच गया और उसकी वजहसे मेरा बचपन मुझे याद आ गया और मेरे पास आज समय हि समय था तो लिख रहा हु
मेरा गाव एक जंगल एरिया मे था आने जाने के लिए नदी क्रॉस करना पडता था उसके अलवा कोई रास्ता नही था गाव मे ना रस्ता ना लाईट ना गाडी कुछ भी नही बस झोपडीओं के घर और पुरा जंगल
गाव मे हि जिल्हा परिषद स्कुल था टीचर भाईंदर से आती उन्होने मुझे लिखना पढना सिखाया पहिली कक्षा मे मुझे स्कुल बिलकुल पसंद नही था २ री तक मुझे मेरी आई मुझे पिटते पिटते स्कुल भेजती थी पर मै स्कुल से भाग जाता था तब फीरसे पुरे गाव मे मुझे ढुंडकर अच्छी धुलाई करते करते मुझे स्कुल मे जाना पडता था पर बादमे मै स्कुल मे रहने लगा और स्टडी भी अच्छे से करने लगा पर मुझे बाकी सब्जेक्ट अच्छे नही लगते थे शिवय आर्ट क्राफ्ट और पाठातंर भी नही जमता था और आज भी सेम प्रॉब्लेम है भुल जाता हु, तो मै टिचर जो पढाती तो ओ मै अच्छेसे सुन लेता था उसके बाद कोईभी पढाई नही करता था स्कुल छुटने के बाद भागते भागते घर पे जाके बॅग को दरवाजेसेही अंदर फेक देनेका आई को आवाज देकर और डायरेक्ट नदी पे भागता था छोटा था ईसलीए तैरना नही आता था तो ड्रम या बॉटल शरीर को रस्सी बांधकर तैरता था कभी टायर काठी से चलाते चलाते गरम पाणी के कुंड मे जाते थे सर्दी मे कुंड पे और मस्त स्नान करते थे एक दिन गरम पाणी मे एक दो घंटे तक नहाने की वजहसे मुझे चक्कर आके मै पड फ्रेन्डस ने आई पप्पा को बुलाने भाग गये तो किसीने मुझे हॉस्पिटल मे भर्ती करवाया था मुझे होश आया तो पुरा गाव वहा मौजुद पाया उस दिन से मेरा नदि और कुंड बंद हो गया और आई मुझे किधर भेजती भी नही थी तब मै फ्रेड के साथ घर के आंगनमेही कुछ खेल खेलता था गाव मे लाईट नही थी तो केरोसीन वाला बॉटल जलाकर उसके रोशनी मे बादमे स्कुल का बुक पढता था कभी कुछ मिट्टी के खिलौने रद्दीपेपर लकडीपत्तोसे कोई क्राफ्ट बनाता था इस वजहसे मै स्टडी अच्छेसे करने लगा खेल हो आर्ट हो या कोई एक्झाम हो मै पार्टीसीपेट करताही था घरमे पैसा नही था इसलिए पेंसिल भी नही मिलती थी तो पथ्थर की स्लेट और वीटभट्टीसे जले हुआ व्हाईट कोयला हि हमारी पेंसिल थी बुक स्कुल मे मिलती थी। कोई ट्यूशन नही था या कोई क्लासेस पर सेकंड स्टॅडर्स से लेके 9 तक फस्ट नंबर पे हि रहा और आर्ट कॉलेज मे भी खुद हॉटेल्स कॅन्टीन मे बरतन मांडवा साफसफाई करके या पेंटींग बनाके बेजकर उसी कमाईसे पढाई की पुरा मटेरिअल फिस का खर्चा उठाया उसका नतीजा पुरे महाराष्ट्र राज्य के सभी कॉलेजमे से मै फस्ट आया।
जो स्कुल मुझे बचपन मे पसंद नही था अब हजारो स्कुल मे पढानेके लिए बुलावे आते है और अपने स्कुल के बच्चे हि नही बल्की महाराष्ट्र राज्य के सभी स्कुल के बच्चेो को मै आज २०१२ से ऑनलाइन पढा रहा हु तब ऑनलाइन शिक्षन के बारे मे किसी को पता नही था,और जितनेभी गरीब बच्चे है उनके लिए मै खुद उनके पास पुरा मटेरिअल लेकर पहुचकर उनको जो चाहे ओ खुद के पैसोसे देनेकी कोशिश हररोज करता हु ।
ए सब प्रायमरी मे मुझे एक अॅवॉर्ड मिला था बेस्ट स्टुडंट अॅवार्ड इसी अवॉर्ड ने मुझे एनक्रेज किया प्रेरणा दि और आज जो हु आपके सामने हु वही ए अॅवाँर्ड है ।महाराष्ट्र राज्य ने मुझे बहोत सारे अवॉर्ड दिए पर दुनिया का कोईभी अॅवॉर्ड इसके सामने फिका है !
Comments
Post a Comment